अगर आप एंड्रॉइड डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको अलर्ट होने की जरूरत है। Microsoft की 365 डिफेंडर टीम ने यूजर्स को एंड्रॉइड मैलवेयर के खतरे से आगाह किया है। यह मैलवेयर यूजर्स की परमीशन के बिना प्रीमियम सर्विस को सबस्क्राइब कर रहा है। Also Read - Facebook पर प्रमोट हो रहे दर्जनों खतरनाक ऐप्स, 7 मिलियन से ज्यादा है डाउनलोड
एक ब्लॉग पोस्ट में, 365 डिफेंडर टीम ने बताया कि Toll Fraud Malware, इस बिलिंग फ्रॉड का हिस्सा है। इसमें कुछ मैलेशियस प्रोग्राम यूजर्स की जानकारी या परमीशन के बिना प्रीमियम सर्विस का सब्सक्रिप्शन लेते हैं। हालांकि यह एंड्रॉइड मैलवेयर के सबसे कॉमन अटैक्स में से एक है, लेकिन धीरे-धीरे इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं। Also Read - अपने स्मार्टफोन से तुरंत डिलीट कर दें ये 8 खतरनाक ऐप, नहीं तो लुट जाएंगे आप
कैसे काम करता है Toll Fraud Malware?
Microsoft की 365 डिफेंडर टीम का कहना है कि टोल फ्रॉड मैलवेयर बिलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करता है। इसे वायरलेस एप्लिकेशन प्रोटोकॉल या WAP कहा जाता है। इसे आमतौर पर सब्क्रिप्शन सर्विस के लिए जेनुइन ऐप में इस्तेमाल किया जाता है। Also Read - Google Play Store पर मौजूद इन बैंकिंग ऐप्स में छिपा है खतरनाक वायरस, 100 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड
टोल फ्रॉड मैलवेयर गुपचुप तरीके से यूजर की तरफ से पेड सब्स्क्रिप्शन को खरीदता है। सबसे पहले यह टारगेट किए गए यूजर को Wifi कनेक्शन डिसेबल करने के लिए कहता है ताकि वो मोबाइल नेटवर्क पर स्विच करें। फिर यह सब्सक्रिप्शन पेज पर जाकर खुद ही सबस्क्राइब बटन पर क्लिक करता है। इतना ही नहीं अगर इस प्रोसेस में OTP भेजा जाता है तो यह इसे इंटरसेप्ट करता है और सर्विस प्रोवाइडर को भेज देता है। इसके बाद यह खतरनाक मैलवेयर नोटिफिकेशन्स को डिसेबल कर देता है ताकि यूजर को इसका पता ना चले।
कौन हो सकता है Toll Fraud Malware का शिकार?
माइक्रोसॉफ्ट की 365 डिफेंडर टीम ने कहा कि टToll Fraud Malware के वेरिएंट एंड्रॉइड API लेवल 28 या एंड्रॉइड 9.0 या पुराने OS वर्जन वाले डिवाइस को टारगेट कर रहे हैं। इसका मतलब है कि जो यूजर अपने डिवाइस पर मोबाइल OS का लेटेस्ट वर्जन चला रहे हैं, वो सुरक्षित हैं।
Toll Fraud Malware से खुद को कैसे बचाएं?
अपने आप को इस मैलवेयर से बचाने का सबसे आसान तरीका है अपने स्मार्टफोन पर उपलब्ध सॉफ्टवेयर अपडेट का लेटेस्ट वर्जन डाउनलोड करना। इसके अलावा, अनट्रस्टेड सोर्स से एंड्रॉइड एप्लिकेशन इंस्टॉल ना करें। इसके अलावा, किसी भी ऐप को SMS परमीशन, नोटिफिकेशन लिसनर एक्सेस, या एक्सेसिबिलिटी एक्सेस देने से परहेज करें।