Facebook और YouTube ने बुधवार, 16 मार्च 2022 को बताया कि उन्होंने यूक्रेन के प्रेसिडेंट ब्लादिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) का एक deepfake वीडियो अपने प्लेटफॉर्म से हटाया है। यूक्रेन और रूस के बीच पिछले तीन हफ्तों से चल रहे युद्ध के बीच यह deepfake वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बड़े पैमाने पर वायरल किया गया है। Also Read - गामा पहलवान का आज 144वां जन्मदिन, गूगल ने डूडल बनाकर दिया सम्मान
अपने स्टेटमेंट में सोशल मीडिया कंपनी ने कहा कि वायरल हुए इस deepfake वीडियो में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की प्रेसिडेंशियल पोडियम के पीछे खड़ें हैं और सामने एक बैकड्रॉप दिखाई देता है जिसमें दोनों तरफ उक्रेनियन कोट ऑफ आर्म्स फीचर किया गया है। हरे रंग की शर्ट पहने हुए प्रेसिडेंट जेलेंस्की उक्रेनियन भाषा में रूस के खिलाफ हफ्तों पुराने युद्ध में उक्रेनियों को अपने हथियार डालने के लिए कहते हैं। Also Read - Google ने इन 3 खतरनाक ऐप्स को किया बैन, आपके फोन में हुआ तो हो सकता है बड़ा नुकसान
ऐसे में आपके मन में भी सवाल उठ रहा होगा कि यह deepfake वीडियो क्या होता है? आज हम आपको इस deepfake वीडियो के बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही, हम यह भी बताएंगे कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी वीडियो शेयर करने से पहले हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। Also Read - Google रूस में बंद करेगा बिजनेस, कंपनी के अकाउंट हुए सीज
क्या होता है Deepfake?
यह टर्म दो शब्दों “deep learning” और “fake” के मिलने से बना है। इसका मतलब यह होता है कि यह देखने में तो जेनुइन या रीयल लगता है, लेकिन फर्जी होता है। Deepfake Video में गलत वीडियो और ऑडियो को मिक्स करने के लिए नई और एडवांस AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह का वीडियो इतना रियल लगता है कि एक नजर में यह आपको रीयल लगेगा।
आम भाषा में कहा जाए तो Deepfake Video मुख्य तौर पर Morphed Video (छेड़छाड़ किए गए वीडियो) का एडवांस वर्जन होता है। मोर्फड वीडियो की पहचान तो आसानी से की जा सकती है, लेकिन Deepfake वीडियो की पहचान करनी मुश्किल है। हम आपको आज कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं, जो आपको इस तरह की फर्जी वीडियो की पहचान करने में मदद करेगा।
फर्जी वीडियो को वायरल होने से इस तरह रोकें
सोशल मीडिया पर फैलाए जाने वाले किसी भी तरह के फर्जी वीडियो के लिए मोर्फड के अलवा doctored (डॉक्टर्ड) वीडियो टर्म का भी इस्तेमाल किया जाता है। किसी भी वीडियो को शेयर करने से पहले हमें उसके सोर्स ऑफ ऑरिजिन को चेक करना चाहिए।
अगर, वह वीडियो किसी टर्स्टवर्दी न्यूज प्लेटफॉर्म या फिर ऑफिशियल वेरिफाइड हैंडल से शेयर की गई हो, तब ही हमें उसे सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना चाहिए।
किसी अन्य सोर्स से शेयर किए गए वीडियो को कभी भी हमें सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर नहीं करना चाहिए। इसकी वजह से गलत और फर्जी वीडियो इन प्लेटफॉर्म पर वायरल हो सकती है, जिसकी वजह से लोगों के बीच अफवाहें फैल सकती है।
Facebook, Twitter, Google अपने प्लेटफॉर्म पर फर्जी कंटेंट शेयर होने से बचाने के लिए कई पॉलिसी लेकर आए हैं। साथ ही, इन कंपनियों ने थर्ड पार्टी फैक्ट चेकर्स भी रखें हैं, जो प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे वीडियो और पोस्ट को चेक करके उन्हें रिपोर्ट करते हैं।