Koo App के डाउनलोड की संख्या लगातार बढ़ रही है। भारत सरकार और माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर के बीच चल रही तनातनी का लाभ इस भारतीय मोबाइल ऐप को मिल रहा है। सरकार और Twitter के बीच विवाद कुछ यूजर्स के अकाउंट को ब्लॉक करने और उन पर कार्रवाई करने को लेकर हुआ है। Also Read - Made in India Apps: WhatsApp, Twitter, Google Maps के ये हैं 'देसी' विकल्प
रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले 7 दिनों में ऐप के डाउनलोड्स की संख्या 10 गुना बढ़ गई है। Koo App को अब तक सभी प्लेटफॉर्म्स पर 30 लाख बार डाउनलोड किया जा चुका है। हालांकि, गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड्स की संख्या 10 लाख से ज्यादा ही दिख रही है। Aprameya Radhakrishna और Mayank Bidawatka इस ऐप के फाउंडर हैं। इस ऐप का फोकस स्थानीय भाषा पर है। Also Read - Koo app भारत में Google Play Store पर बना टॉप फ्री ऐप, लाखों बार हुआ डाउनलोड
इस ऐप में है चीनी निवेश
इस हफ्ते की शुरुआत से ही यह ऐप चर्चा में बना हुआ है। ऐप पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, रविशंकर प्रसाद समेत समेत कई अन्य आ चुके हैं। यहां तक की प्लेटफॉर्म पर कई सरकार विभागों के अकाउंट भी मौजूद हैं। इस ऐप में चीनी निवेश भी है, जिसकी जानकारी कंपनी के फाउंडर राधाकृष्ण ने एक इंटरव्यू ने दी है। Also Read - Koo App: सुर्खियों के बाद अब विवादों में 'देसी' Twitter, लीक हो रहा यूजर्स का पर्सनल डेटा
उनका कहना है कि ऐप में चीनी स्टेक होल्डर शुनवेई कैपिटल है, जिसका निवेश बहुत छोटा सा है। इंटरव्यू में राधाकृष्ण ने बताया कि शुनवेई कैपिटल की हिस्सेदारी खरीदी जा सकती है। ट्विटर पर उन्होंने बताया कि शुनवेई कैपिटल, जिसने इस ऐप में निवेश किया था, जल्द ही इससे बाहर हो जाएगी। इसके अतिरिक्त इस ऐप में 3one4 कैपिटल (पूर्व इंफोसिस बोर्ड मेंबर मोहनदास पई की कंपनी), कलारी कैपिटल और ब्लम वेंचर्स ने निवेश किया है।
क्या है Koo App
Koo ऐप को पिछले साल यानी 2020 में लॉन्च किया गया है। यह एक माइक्रोब्लॉगिंग (ट्विटर जैसा) ऐप है, जो हिंदी, तमिल, तेलुगू और कन्नड़ भाषाओं में उपलब्ध है। ऐप जल्द ही कई अन्य भाषाओं में भी उपलब्ध होगा। प्लेटफॉर्म पर यूजर्स 400 कैरेटर्स तक का मैसेज या एक मिनट तक का वीडियो शेयर कर सकते हैं। यह ऐप गूगल प्ले स्टोर और एप्पल ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है। साथ ही इसके वेब वर्जन को भी यूज किया जा सकता है।
क्यों है ट्विटर और सरकार में तनातनी
गौरतलब है कि सरकार ने किसान आंदोलन के बारे में दुष्प्रचार और भड़काऊ बातें फैला रहे एकाउंट और हैशटैग के खिलाफ कार्रवाई करने में देरी करने पर बुधवार को ट्विटर से नाराजगी जाहिर की है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कंपनी के अपने भले ही कोई नियम हों, लेकिन उसे देश के कानूनों का पालन करना ही चाहिए।
ट्विटर ने 500 से अधिक एकाउंट निलंबित किये हैं। हालांकि, उसने अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देते हुए ‘खबरिया निकायों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के एकाउंट पर रोक लगाने से इनकार किया है।’ आईटी सचिव और ट्विटर के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच डिजिटल संवाद के दौरान सरकार ने इस मंच से कहा कि भारत में काम कर रहे कारोबारी निकाय के रूप में उसे कानूनों एवं लोकतांत्रिक संस्थानों का सम्मान करना ही चाहिए और देश में सद्भाव बिगाड़ने और अशांति फैलाने से जुड़े अभियानों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।