भारत लिथियम-आयन बैटरी (Lithium ion Batteries) पर GST में कटौती कर सकता है। इसे ग्रीन मोबिलिटी स्कीम्स को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक वीइकल्स पर लगने वाले टैक्स के बराबर किया जा सकता है। इस स्कीम को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार केअलग-अलग स्टेकहोल्डर्स से बातचीत कर रही है, जो देश को EV के लिए ग्लोबल मैनुफैक्चरिंग हब बनाने के लिए अहम है। Also Read - फिर लगी Electric Scooter में आग, चार्जिंग के दौरान जला Pure EV ई-स्कूटर
अभी लिथियम-आयन बैटरी पर कितना है टैक्स?
वर्तमान में, ईवी पर 5% टैक्स लगाया जाता है, जबकि लिथियम-आयन बैटरी पर 18% टैक्स लगाया जाता है। इससे पहले भी लिथियम-आयन बैटरी पर टैक्स कम करने (Tax Rationalization) पर विचार किया गया है, लेकिन बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी (Battery Swapping Policy) को आगे बढ़ाने के साथ, बातचीत ने फिर सेजोर पकड़ा है। Also Read - Audi e-rickshaw: भारत में जल्द नजर आएंगे ऑडी ई-रिक्शा, जानिए क्या कुछ होगा खास
बैटरी पॉलिसी को लेकर NITI आयोग ने की मीटिंग
नई और रिन्यूवल एनर्जी मिनिस्ट्री, हैवी इंडस्ट्री और दूसरे सरकारी डिपार्टमेंट्स के नीति आयोग ने मंगलवार को बैटरी-स्वैपिंग पॉलिसी पर अपनी पहली मीटिंग की थी। इसके बाद 5 जून तक पॉलिसी के मसौदे पर सुझाव और सिफारिशें दी गईं। लोगों ने कहा कि टैक्स को कम करने के साथ-साथ बैटरीज के लिए स्टैंडर्ड फॉर्म तय करना भी मीटिंग के एजेंडे में था। Also Read - 300km रेंज, 100 kmph टॉप स्पीड वाली Wuling Air EV हुई लॉन्च: पिक्चर्स में दिखा Tata Nano जैसा साइज
टैक्स मामले में GST काउंसिल लेगी फैसला
हालांकि GST का मुद्दा वित्त मंत्रालय के दायरे में आता है इसलिए नीति आयोग इस पर ज्यादा विचार नहीं करेगा। नीति थिंक टैंक टैक्स कम करने को लेकर सिर्फ सिफारिश भेज सकता है। जीएसटी में बदलाव पर कोई भी फैसला जीएसटी काउंसिल ही लेगी।
काउंसिल ने पिछली बार 2018 में लिथियम-आयन बैटरी पर GST रेट को 28% से 18% तक घटा दिया था। अब, ईवी इकोसिस्टम पर अधिक जोर देने और ईवी सेगमेंट में कई मेकर्स के शामिल होने के बाद इसमें बदलाव के बारे में सोचा जा रहा है।
तीन महीने में फाइनल पॉलिसी तैयार कर सकती है सरकार
दिसंबर में, NITI Aayog के चीफ एग्जीक्यूटिव अमिताभ कांत ने कहा कि सरकार EV बैटरी पर GST को कम करने पर काम कर रही है। इसके अलावा, थिंक टैंक द्वारा जारी ड्राफ्ट पॉलिसी में बैटरी पर टैक्स कम करने की सिफारिश की गई थी। उम्मीद है कि सरकार लगभग तीन महीने में फाइनल पॉलिसी तैयार कर सकती है।