PUBG की लत में 16 साल के बच्चे ने अपनी मां की जान ले ली। मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का है। रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चे ने गेम खेलने से मना करने पर अपनी मां को पिता की लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली मारकर जान ले ली। गोली मारने के बाद टीनएजर ने दो दिन तक मां की डेड बॉडी को छिपाकर रखा। घर में टीनएजर और उसकी मां के अलावा 9 साल की छोटी बहन मौजूद थे। Also Read - Battlegrounds Mobile India (BGMI) में इस तरह फ्री पाएं रीनेम कार्ड, जानें कैसे करें यूज
रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार 5 जून की रात टीनएजर मोबाइल पर PUBG गेम खेल रहा था। इसी दौरान मां ने बच्चे से गेम खेलने ले मना किया और दोनों में बहस शुरू हो गया। बहस के दौरान बच्चे ने पिता की लाइसेंसी रिवॉल्वर से मां के सिर में गोली मार दी। फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक, गोली लगने से मां की मौके पर मौत हो गई। टीनएजर को मोबाइल गेम खेलने का आदी बताया जा रहा है। Also Read - BGMI Master Series की अब टीवी पर होगी बॉडकास्टिंग, इस चैनल पर देख पाएंगे सभी मैच
पुलिस के मुताबिक, मां की डेड बॉडी यानी लाश से दुर्गंध न आए, इसके लिए बच्चे ने रूम फ्रेशनर का यूज किया ताकि उसकी छोटी बहन और पड़ोसियों को पता न चले। Also Read - Battlegrounds Mobile India में स्पेशल कैरेक्टर Emilia पाने का शानदार मौका, जानें कै
लखनऊ के एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिशनर ने कहा कि मंगलवार शाम को डेड बॉडी से आने वाली दुर्गंध ज्यादा होने पर बच्चे ने अपने पिता से इस घटना के बारे में बताया। बच्चे के पिता एक आर्मी मैन हैं और पश्चिम बंगाल में पोस्टेड हैं। जानकारी मिलने पर पिता ने पड़ोसी को कॉल करके पुलिस को सूचना देने के लिए कहा।
बच्चे ने बनाई झूठी कहानी
पहले बच्चे ने पिता को मां की मौत के बारे में झूठी कहानी बताई और कहा कि घर पर काम करने आए इलेक्ट्रिशियन ने मां को गोली मार दी। बच्चे के पिता ने पुलिस को यही बात कही, लेकिन जांच के बाद पता चला कि बच्चे द्वारा बताई गई कहानी पूरी तरह से मनगढ़त है। कस्टडी में लेने के बाद बच्चे ने पूरी घटना के बारे में बताया। फिलहाल बच्चे पुलिस की हिरासत में है और पूछताछ की जा रही है।
केन्द्र सरकार जारी कर चुकी है एडवाइजरी
हालांकि, यह पहली घटना नहीं है जब गेमिंग की लत की वजह से किसी की जान गई हो। इससे पहले भी कई मामलों में टीनएजर्स ने गेमिंग की लत में जानें ली हैं। दिसंबर 2021 में मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन ने बच्चों में बढ़ रहे मोबाइल गेमिंग की लत को खतरनाक बताया था।
गेमिंग की लत की वजह से मैट्रो शहरों से लेकर गावों तक के बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। इसके लिए केन्द्र सरकार ने बच्चों के अभिभावकों और माता-पिता के लिए एडवाइजरी भी जारी की थी और चेताया था कि ऑनलाइन गेमिंग की लत बच्चों के लिए किस तरह से खतरनाक हो सकता है।
एडवाइजरी के मुताबिक, सीरियस गेमिंग अडिक्शन को गेमिंग डिसऑर्डर कहा गया है। गेम को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि हर लेवल पिछले लेवल से ज्यादा जटिल और मुश्किल हो। जिसकी वजह से गेम खेलने वाले प्लेयर्स अपनी लिमिट को पुश करके गेम में आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। यही चीजें गेम खेलने वाले बच्चों को मानसिक तौर पर आदि बनाता है।
ऐसे बचें
सरकार द्वारा जारी किए गए एडवाइजरी के मुताबिक, बच्चे जो गेम खेल रहे हैं उसकी रेटिंग्स और आयुसीमा को चेक करना चाहिए। साथ ही, बच्चों को गेम खेलते समय मॉनिटर करना चाहिए, ताकि गेम खेलते समय बच्चों की एक्टिविटी पर नजर रखी जा सके। बच्चे ज्यादा समय तक गेम न खेल सके इसके लिए गेम में अगर टाइम लिमिट दी गई है, तो उसे सेट करें। जिससे बच्चे एक तय लिमिट तक ही गेम को खेल सकेंगे। जिसकी वजह से उनमें मोबाइल गेमिंग की लत नहीं लगेगी।