आधार डाटा में कथित सेंध की खबर को लेकर प्राथमिकी दर्ज किए जाने की आलोचना के बीच सरकार ने आज कहा कि यह प्राथमिकी ‘अज्ञात’ आरोपियों के खिलाफ की गई है। इसके साथ ही सरकार ने प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। Also Read - आधार कार्ड यूज करते समय हमेशा याद रखें ये सिक्योरिटी टिप्स, नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान
Also Read - UMANG ऐप के जरिए EPFO में नॉमिनी जोड़ने में आ रही दिकक्त इस तरह करें दूरदिल्ली पुलिस ने कल ही पुष्टि की कि उसने यूआईडीएआई की शिकायत पर इस मामले में पांच जनवरी को प्राथमिकी दर्ज की। विधि व आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इस मुद्दे पर सरकार का रुख स्पष्ट करने के लिए सोशल मीडिया वेबसाइट ट्वीटर का सहारा लिया। Also Read - Amazon Pay Later सुविधा का लाभ उठाने के लिए ऐसे करें सेटअप, फॉलो करें ये स्टेप्स
प्रसाद ने ट्वीटर पर लिखा है, ‘सरकार भारत के विकास के लिए प्रेस की स्वतंत्रता व आधार की संरक्षा व सुरक्षा बनाए रखने को प्रतिबद्ध है । प्राथमिकी एफआईआर अज्ञात (लोगों) के खिलाफ है।’ उल्लेखनीय है कि आधार जारी करने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के एक उपनिदेशक की शिकायत पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्राथमिकी में चार लोगों के नाम है जिनमें ट्रिब्यून अखबार की उस पत्रकार का नाम भी शामिल है जिसने अपने समाचार में आधार डेटा में कथित सेंध का खुलासा किया था। हालांकि प्रसाद के अनुसार प्राथमिकी ‘अज्ञात’ के खिलाफ है।
प्रसाद के अनुसार: ‘मैंने यूआईडीएआई को सुझाव दिया है कि वह ट्रिब्यून व इसकी पत्रकार से पुलिस को हर संभव मदद का आग्रह करे ताकि वास्तविक दोषियों का पता लगाया जा सके।’ उधर यूआईडीएआई ने आज फिर कहा कि वह प्रेस की आजादी को प्रतिबद्ध है और वह इस मामले में जांच में सहयोग के लिए उक्त समाचार पत्र व उसकी पत्रकार से संपर्क करेगा। प्राधिकरण ने ट्वीटर पर लिखा है कि वह इस बारे में ट्रिब्यून अखबार व पत्रकार रचना खैरा से जांच में हरसंभव मदद का आग्रह करेगा।
इस बीच सम्बद्ध द ट्रिब्यून अखबार के प्रधान संपादक हरीश खरे ने कल एक बयान में कहा कि अखबार खोजी पत्रकारिता के अपनी आजादी का बचाव करेगा। उन्होंने कहा कि संस्थान इस बारे में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करेगा।
प्राथमिकी दर्ज कराने को लेकर आलोचकों के निशाने पर आने के बाद प्राधिकरण ने कल कहा था कि वह प्रेस की आजादी समेत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करता है। प्राधिकार के अनुसार उसकी पुलिस शिकायत को संवाददाता को रोकने की कोशिश की तरह नहीं देखना चाहिए। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी प्राथमिकी वापस किये जाने को लेकर सरकार से दखल की मांग की और कहा कि मामले की निस्पक्ष जांच की जानी चाहिए।