Apple, Google और Microsoft जल्द ही कॉमन Passwordless (पासवर्ड के बिना) साइन-इन स्टैंडर्ड का इस्तेमाल करने वाली है। तीनों टेक्नोलॉजी कंपनियां इस पासवर्डलेस साइन-इन स्टैंडर्ड के लिए FIDO Alliance का इस्तेमाल करेगी। इस तकनीक का इस्तेमाल कंपनी के प्लेटफॉर्म के साथ-साथ डिवाइसेज के लिए भी किया जाएगा। Also Read - गामा पहलवान का आज 144वां जन्मदिन, गूगल ने डूडल बनाकर दिया सम्मान
इस स्टैंडर्ड को वेबसाइट को और ज्यादा सिक्योर बनाने के लिए क्रिएट किया गया है ताकि वेबसाइट में बिना किसी पासवर्ड के लॉग-इन किया जा सके। FIDO यानी Fast Identity Online Alliance को 2012 में बनाया गया था ताकि यूजर्स को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हैक होने वाले पासवर्ड से बचाया जा सके। Also Read - मुश्किल में Apple और Samsung! बिना चार्जर फोन शिप करने पर लग सकता है जुर्माना
तीनों दिग्गज टेक कंपनियों Apple, Google और Microsoft की घोषणा के मुताबिक, सभी अपने प्लेटफॉर्म्स को नए कैपेबिलिटी सपोर्ट के तर्ज पर तैयारी करेंगी, ताकि यूजर्स को FIDO Alliance का इस्तेमाल करते हुए बिना किसी पासवर्ड के लॉग-इन करने में कोई दिक्कत न महसूस हो। Also Read - Google ने इन 3 खतरनाक ऐप्स को किया बैन, आपके फोन में हुआ तो हो सकता है बड़ा नुकसान
FIDO कैसे करेगा काम?
Apple, Google और Microsoft द्वारा इस स्टैंडर्ड को इंप्लिमेंट करने के बाद यूजर्स को इनके प्लेटफॉर्म पर दो तरह की कैपेबिलिटीज मिलेंगी, ताकि पासवर्डलेस और सिक्योर साइन-इन प्रक्रिया को पूरा किया जा सके। पहली कैपेबिलिटीज में यूजर्स को FIDO साइन-इन क्रिडेंशियल्स (passkey) के जरिए डिवाइस में ऑटो एक्सेस की अनुमति देगा। जिसकी वजह से यूजर्स को हर अकाउंट में री-एनरोल नहीं करना पड़ेगा।
वहीं, दूसरी कैपेबिलिटीज में यूजर्स को अपने मोबाइल डिवाइस या वेबसाइट में FIDO ऑथेंटिकेशन को इनेबल करना होगा, ताकि ऐप और वेबसाइट में साइन-इन किया जा सके। इसका फायदा यह होगा कि यूजर किसी भी वेबसाइट में पासवर्ड की बजाय अपने फिंगरप्रिंट सेंसर या फेस रीडर के जरिए लॉग-इन कर सकेंगे। ऐसे में हैकर्स के लिए किसी भी यूजर की आइडेंटिटी हैक करना आसान नहीं होगा और बिना किसी दिक्कत के यूजर्स अपने अकाउंट को एक्सेस कर सकेंगे।
आने वाले सालों में हो सकता है रोल आउट
तीनों दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियों द्वारा कल यानी 5 मई को World Password Day के मौके पर किए गए इस पासवर्डलैस साइन-इन यानी बायोमैट्रिक साइन-इन FIDO तकनीक के इस्तेमाल की घोषणा से यह साफ है कि आने वाले दिनों में यूजर्स ज्यादा से ज्यादा बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल करेंगे। पासवर्ड इनपुट नहीं करने की वजह से उसके हैक होने या क्रेडैंशियल्स चोरी होने का भी खतरा कम रहेगा। तीनों कंपनियां आने वाले कुछ सालों में इस फीचर को इम्प्लिमेंट कर सकती हैं।