Covid के चलते दुनिया का तेजी से डिजिटलाइजेशन हुआ है, मगर इसके साथ ही साइबर हमलों ने भी तेजी से बढ़ोतरी हासिल की है, जिनमें रैंसमवेयर हमले सबसे आगे हैं। World Economic Forum (WEF) की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में हर फर्म पर औसतन 270 साइबर अटैक के प्रयास हुए। Also Read - WhatsApp Support के नाम से आया मैसेज आपको कर सकता है 'कंगाल', ऐसे बचें
इनमें जिन फर्म को सिक्योरिटी ब्रीच झेलनी पड़ी, उन्हें औसतन 3.6 मिलियन डॉलर या लगभग 26.86 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। साइबर हमलों की बढ़ती तादाद के साथ एक और चीज परेशान करने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों को साइबर हमले की पहचान करने और उसका जवाब देने के लिए औसतन 280 दिनों की आवश्यकता होती है। Also Read - VLC मीडिया प्लेयर के सहारे चीनी हैकर कर रहे हैं मालवेयर अटैक, जानें कैसे रहें सेफ
WEF Global Cybersecurity Outlook 2022
World Economic Forum (WEF) ने अपने ऑनलाइन Davos Agenda Summit पर ‘ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी आउटलुक 2022’ रिपोर्ट जारी की। इसके अनुसार, कम से कम 80 प्रतिशत साइबर एक्सपर्ट्स ने जोर देकर कहा कि रैंसमवेयर सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक खतरनाक और उभरता हुआ खतरा है। 50 प्रतिशत उत्तरदाताओं का कहना है कि साइबर खतरों के मामले में रैंसमवेयर उनकी सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है। Also Read - SBI ग्राहक हो जाएं सावधान! Yono अकाउंट से PAN लिंक कराने के चक्कर में 'लुट' सकते हैं आप
रिपोर्ट के मुताबिक, रैंसमवेयर हमले फ्रीक्वेंसी और नफासत में बढ़ रहे हैं। यह एक हमेशा मौजूद रहने वाला खतरा है, जो साइबर एक्सपर्ट्स को परेशान रखता है। साइबर एक्सपर्ट्स के लिए रैनसमवेयर हमलों के बाद सोशल इंजीनियरिंग हमले दूसरी सबसे बड़ी चिंता हैं। खतरनाक साइबर हमलों की इस सूची में नंबर तीन पर malicious insider activity (दुर्भावनापूर्ण अंदरूनी गतिविधि) है।
2021 में रैंसमवेयर के हमले 151 प्रतिशत तक बढ़े थे। छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SMEs) को चेन, पार्टनर नेटवर्क और इकोसिस्टम की आपूर्ति के लिए एक प्रमुख खतरे के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा साइबर क्रिमिनल्स की तकनीक और क्षमताओं में तेजी से होता हुआ विकास एडवांस मल्टीस्टेज रैंसमवेयर के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
मगर रिपोर्ट के मुताबिक, 81 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि साइबर सिक्योरिटी में सुधार के लिए डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जरूरी है। Covid के कारण डिजिटलाइजेशन की तेज गति और हमारी कामकाजी आदतों में बदलाव ही साइबर सिक्योरिटी को बेहतर करेगा।