भारत सरकार लंबे वक्त से कोशिश कर रही है कि देश में लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिले और इम्पोर्ट पर निर्भरता कम हो सके। इसके लिए सरकार ने फेस्ड मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम और Production-linked Incentive (PLI) स्कीम पेश की थी। एक नई खबर के मुताबिक, ये स्कीम अपने मकसद में कामयाब हो रही हैं। Also Read - Tata Punch को टक्कर देने आ रही Citroen C3, सामने आई लॉन्च डेट, जानें पूरी डिटेल
Crisil की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 में देश में मोबाइल फोन का इम्पोर्ट 33 प्रतिशत नीचे गिरा है। इसके साथ ही लोकल मैन्युफैक्चरिंग में लगभग 26 प्रतिशत की भी बढ़त देखने को मिली है। आइए इस बारे में डिटेल में जानते हैं। Also Read - अगले महीने लॉन्च होगी मेड-इन-इंडिया Citroen C3, मात्र 21000 रुपये में कर सकते हैं बुक
बढ़ रही है Made in India फोन्स की तादाद
Crisil की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2016 और 2021 के बीच भारत में मोबाइल फोन का स्थानीय उत्पादन हर साल 33 प्रतिशत तक की दर से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2022 में चिप की किल्लत होने के बावजूद यह बढ़त 24 से 26 प्रतिशत तक रही है। Also Read - Made In India Cars: Suzuki Jimny से लेकर Mahindra Scorpio Gataway तक, सिर्फ विदेशों में बिकती हैं ये 4 भारतीय कारें
रेटिंग एजेंसी के अनुसार, यह ट्रेंड फेस्ड मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम और Production-linked Incentive (PLI) स्कीम की वजह से देखने को मिल रहा है। खबर के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 में तीन ग्लोबल मैन्युफैक्चरर्स ने PLI प्रोडक्शन टारगेट को पूरा किया।
Crisil का मानना है कि आने वाले समय में बढ़त की यह दर बरकरार रहेगी। इसने कहा कि वित्त वर्ष 2022 और 2024 के बीच उत्पादन में 22-26 प्रतिशत की वार्षिक विकास दर देखने को मिल सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बढ़त में PLI स्कीम का सबसे बड़ा योगदान रहेगा, जो ज्यादातर कंपनियों के लिए अपने दूसरे साल में ही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022 में साल-दर-साल मोबाइल आयात 33 प्रतिशत गिर गया और चीन पर निर्भरता 64 प्रतिशत से घटकर 60 प्रतिशत हो गई है। खबर का कहना है कि मध्यम अवधि में इसके और भी ज्यादा गिरने की उम्मीद है।
मगर इस बढ़ते हुए प्रोडक्शन के साथ मोबाइल असेम्ब्लिंग या मैन्युफैक्चरिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट का इम्पोर्ट पिछले साल की तुलना में 27 प्रतिशत बढ़ गया है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकल मैन्युफैक्चरिंग इतनी भारी उछाल के बावजूद, वित्त वर्ष 2022 में 60 प्रतिशत कंपोनेंट चीन से इम्पोर्ट किए गए हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 64 प्रतिशत था।