Netaji 3D Hologram Statue on India Gate: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर इंडिया गेट पर उनका 3D होलोग्राम मूर्ति का अनावरण किया। नेताजी का यह होलोग्राम स्टीकर वास्तविक मूर्ति लगने तक यहां लगी रहेगी। हालांकि, वास्तविक ग्रेनाइट की मूर्ति लगाए जाने की कोई वास्तविक तिथि निर्धारित नहीं की गई है। 3D होलोग्राम तकनीक को इससे पहले भी कई बार इस्तेमाल किया जा चुका है लेकिन नेताजी के 3D होलोग्राम स्टैचू में कुछ नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। आइए, जानते हैं इस तकनीक के बारे में। Also Read - भारत में पहली बार दूल्हा-दुल्हन 3D Avatar में करेंगे Metaverse Wedding, जानिए एक्सक्लूसिव बातचीत में दूल्हे ने हमसे क्या कहा...
साधारण शब्दों में कहा जाए तो 3D होलोग्राम एक 3D तस्वीर है, जिसे लाइट के इंटरफरेंस के जरिए क्रिएट किया जाता है। इस तकनीक में रीयल फिजिकल ऑब्जेक्ट की शेप में लाइट बीम छोड़ी जाती है, जो हर दिशा से देखने पर रियलस्टिक फील देती है। 3D होलोग्राम तकनीक 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान काफी चर्चा में रही थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस 3D होलोग्राम तकनीक की वजह से कई जगहों पर वर्चुअली उपस्थित होकर रैली को संबोधित किया था। Also Read - Snap Partner Summit 2021: Snapchat देगा Instagram को चुनौती, कई नए फीचर्स हुए पेश
3D Hologram Statue की तकनीक
कला और संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) के मुताबिक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 3D होलोग्राम स्टैचू में 30,000 4K प्रोजेक्टर लगाए गए हैं, जिसके जरिए लाइट बीम निकलती है। इन प्रोजेक्टर को नेताजी की ग्रेनाइट मूर्ति लगाए जाने तक लगाकर रखा जाएगा। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, इसके लिए 90 प्रतिशत ट्रांसपैरेंट होलोग्राफिक स्क्रीन लगी है, जो विजिटर्स को नहीं दिखेगा। Also Read - Sony PlayStation 5 गेमिंग कंसोल का भारत में क्रेज, पहली सेल में मिनटों में हुआ आउट ऑफ स्टॉक
नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के डायरेक्टर जनरल अद्वैत गडनायक की टीम के एक अधिकारी ने कहा, ‘इस होलोग्राम स्टैचू की साइज वास्तविक ग्रेनाइट की मूर्ति की साइज 28×6 फीट के बराबर है। इस होलोग्राम स्टैचू पर सुबह से लेकर शाम तक हर रोज लाइट बीम पड़ती रहेगी, जब तक की वास्तविक मूर्ति स्थापित नहीं की जाती।’
किसी भी 3D होलोग्राम की क्वालिटी उसमें इस्तेमाल होने वाली होलोग्राफिक स्क्रीन पर निर्भर करती है। स्क्रीन को इस तरह से प्लेस करना पड़ता है ताकि ऐसा लगे की 3D इमेज नेचुरल लगे और हवा में इमेज दिखाई दे सके।