दूरसंचार कंपनियों ने आज भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के साथ बैठक में अपनी समस्याएं उठायीं। इनमें एप आधारित कॉलिंग, करों और ढांचागत विस्तार की परेशानियां शामिल हैं जिनसे उनका कारोबार ‘बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।’ Also Read - 5G in India: सितंबर से ले सकेंगे सुपरफास्ट 5G सर्विस का आनंद, जानें 5 अहम बातें
Also Read - TRAI करेगा स्पेशल ऑडिट, मोबाइल नंबर पोर्टिंग में 'खेल' करने वाली कंपनियों पर गिरेगी गाजट्राई के चेयरमैन आर एस शर्मा ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘कंपनियों के साथ हमारी बैठक काफी फलदायक रही। सभी कंपनियों की कुछ मुद्दों पर एकराय थी, जिन्हें इस साल ट्राई को देखना चाहिए। इनमें ओटीटी :ओवर द टॉप: विचार विमर्श, एक देश एक लाइसेंस, बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दे, जीएसटी के तहत करों को तर्कसंगत करना शामिल है। छह-सात मुद्दे हैं, जिन्हें कंपनियां चाहती हैं कि नियामक देखे।’’ Also Read - Truecaller जैसे ऐप्स की बंद होगी 'दुकान', अब अपने आप पता चलेगा फोन करने वाले का असली नाम
ट्राई के चेयरमैन ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों ने ऐसी स्पेक्ट्रम नीति की मांग की जिसमें उद्योग को फ्रीक्वेंसी बैंड की नीलामी के बारे में पहले से जानकारी हो। उन्होंने बताया कि आपरेटर अगले एकाध दिन में मुद्दों के बारे में ब्योरा देंगे जिसके बाद ट्राई इस बारे में रूपरेखा बना सकेगा।
शर्मा ने कहा कि दूरसंचार आपरेटरों ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी तथा अवांछित वाणिज्यिक कॉल्स पर भी विचार विमर्श को कहा है। कॉल ड्रॉप के बारे में उन्होंने कहा कि हम इस महीने के अंत तक प्रदर्शन रिपोर्ट प्रकाशित करेंगे।