दूरसंचार नियामक ट्राई ने नेटवर्क कनेक्टिविटी संबंधी नियमों को कड़ा करते हुए दूरसंचार कंपनियों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे बिना किसी भेदभाव के तीस दिन में इंटरकनेक्शन समझौते करें। इसके साथ ही नियामक ने किसी तरह के उल्लंघन पर हर सेवा क्षेत्र के हिसाब से एक लाख रुपए तक का दैनिक जुर्माना तय किया है। देश भर में कुल 22 सेवा क्षेत्र हैं। इंटरकनेक्टिविटी से आशय एक कंपनी के नेटवर्क का कॉल दूसरे कंपनी के नेटवर्क से जुड़ने से है। Also Read - 80GB डेटा और 80 दिन की वैलिडिटी के साथ आता BSNL का यह धाकड़ प्लान, कीमत 400 से भी कम
Also Read - 5G in India: सितंबर से ले सकेंगे सुपरफास्ट 5G सर्विस का आनंद, जानें 5 अहम बातेंभारतीय दूरसंचार नियामक एवं विकास प्राधिकरण (ट्राई) ने आज ‘दूरसंचार इंटरकनेक्शन विनियमन-2018’ जारी किए। इसमें नेटवर्क कनेक्टिविटी समझौते के विविध नियमों को शामिल किया गया है। इसमें पॉइंट ऑफ इंटरकनेक्ट की वृद्धि, प्रारंभिक स्तर पर इस तरह की कनेक्टिविटी के प्रावधान, लागू शुल्क, इंटरकनेक्ट वाले पॉइंट को हटाना और इंटरकनेक्शन मुद्दों पर वित्तीय हतोत्साहन इत्यादि के नियम को शामिल किया गया है। Also Read - Jio की तरह अब Airtel भी लाया 'Smart Missed Call' फीचर, ऐसे करेगा काम...
ट्राई ने एक बयान में कहा कि यह नियम एक फरवरी 2018 से प्रभावी होंगे और भारत में दूरसंचार सेवा देने वाली सभी कंपनियों को इन नियमों का पालन करना होगा।
दूरसंचार नियामक ने कहा, ‘‘इन नियमों के तहत प्राधिकरण ने व्यवस्था दी है कि हर सेवा प्रदाता को किसी सेवा प्रदाता से इंटरकनेक्ट का अनुरोध प्राप्त होने के बाद 30 दिन के भीतर बिना किसी भेदभाव के आधार पर समझौता करना होगा।’’ उल्लेखनीय है कि इंटरकनेक्टिविटी का मुद्दा हाल ही में खासा चर्चा में रहा है। साल 2016 में अपनी सेवाओं की शुरुआत के समय एक नयी कंपनी ने एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसी स्थापित व प्रमुख कंपनियों पर आरोप लगाया कि वे उसे पर्याप्त पीओआई उपलब्ध नहीं करवा रहीं जिससे उसके ग्राहक अन्य नेटवर्क पर काल नहीं कर पा रही।
वहीं मौजूदा कंपनियों ने नेटवर्क ट्रैफिक के उल्लंघनों के लिए जियो की मुफ्त ‘वायस काल’ पेशकश को जिम्मेदार बताया था। ट्राई ने इस मुद्दे पर अक्तूबर 2016 में परामर्श प्रक्रिया शुरू की थी। इसके तहत भागीदारों से लिखित टिप्पणी लेने के साथ साथ खुली परिचर्चाएं भी आयोजित की गईं।